बिहार में 50 हजार विद्यार्थियों के साथ धोखा हुआ है। इनसे पिछले 2 सालों में ना तो परीक्षा ली गई है और ना ही परीक्षा के लिए किए गए आवेदन का शुल्क वापस किया गया है। यह बातें हम खुद से नहीं बल्कि खुद सरकार के तरफ से दी गई जानकारी के बाद बता रहे हैं।

दरअसल राष्ट्रीय खोज छात्रवृत्ति परीक्षा यानी एनटीएसई के लिए आवेदन करने वाले विद्यार्थियों का ना तो पिछले 2 सालों से परीक्षा ली गई है ना ही आवेदन शुल्क वापस किया गया। इसको लेकर बार-बार छात्र और अभिभावक एनसीईआरटी से पूछताछ कर रहे हैं पर उन्हें कोई जवाब नहीं मिल रहा। यह स्थिति केवल 1 छात्रों की नहीं बल्कि हजारों छात्रों की है।

मालुम हो कि, दो साल पहले यानी 2021 के मई महीने में एनटीएसई की परीक्षा के लिए आवेदन का नोटिफिकेशन जारी किया गया था। जिसके बाद हज़ारों स्टूडेंट ने पीटी के लिए आवेदन भी भरा गया। नोटिफिकेशन के मुताबिक इसकी परीक्षा नवंबर 2021 में होनी थी, लेकिन इससे पहले एनसीईआरटी ने एनटीएसई को रद्द कर दिया।

इसके बाद एनसीईआरटी ने आवेदन शुल्क वापस करने की घोषणा भी की गई। लेकिन, इसके बाबजूद अभी तक किसी को भी आवेदन की राशि वापस नहीं मिला हैं। वहीं, बात करें बिहार की तो यहां से 50433 विद्यार्थियों ने आवेदन किया था। इसके लिए प्रति विद्यार्थी 200 रुपये लिये गये थे।

ऐसे में बिहार के बच्चों का दस लाख 86,600 रुपया एनसीईआरटी के पास जमा है, जिसे अभी तक वापस नहीं किया गया हैं। आवेदन करने वाले विद्यार्थी पहले तो छात्रवृत्ति के अवसर से वंचित रह गए। अब उनके शुल्क भी नहीं लौटाए जा रहे। इससे अभिभावकों में नाराजगी है।आपको बताते चलें कि, इस परीक्षा में दसवीं में पढ़ रहे छात्र शामिल होते हैं।

परीक्षा दो चरण में ली जाती है। प्रथम चरण में पीटी परीक्षा होती है। इसमें सफल विद्यार्थी दूसरे चरण की मुख्य परीक्षा में शामिल होते हैं। सफल विद्यार्थियों को 11वीं से पीएचडी तक छात्रवृति दी जाती थी। ग्यारहवी से स्नातक तक सालाना 12 हजार रुपये छात्रवृति दी जाती थी। लेकिन अब इस छात्रवृति को खत्म कर दिया गया हैं।

INPUT : FIRST BIHAR