सूरज ने विशालकाय और सबसे ताकतवर सौर लहर धरती की ओर फेंकी है. यह X8.7 तीव्रता का विस्फोट था. आधी सदी में पहली बार इतनी तगड़ी सौर लहर सूरज से निकली है. वो भी उसी धब्बे से जहां से 11 मई से 13 मई के बीच दो बार विस्फोट हुआ था.

ISRO के सूर्ययान यानी आदित्य-एल1 (Aditya-L1) स्पेसक्राफ्ट ने भी इस दौरान सूरज से आने वाली सौर लहरों को कैप्चर किया. आदित्य-एल1 ने 11 मई को X5.8 तीव्रता की लहर को कैप्चर किया था. इसरो के मुताबिक भारत और उसके आसपास का इलाका सौर तूफान की चपेट में नहीं आया.

ज्यादातर दिक्कत अमेरिकी और प्रशांत महासागर के ऊपरी इलाकों में थी. इतना ही नहीं चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) ने भी इस तूफान को कैप्चर किया है. इसरो के इस ऑब्जरवेशन को नासा ने भी पुष्ट किया है.

उधर NOAA के स्पेस वेदर प्रेडिक्शन सेंटर ने 14 मई 2024 को भी सूरज से खतरनाक सौर लहर को निकलते देखा. ऐसी लहर पिछली आधी सदी में नहीं निकली थी. इसकी वजह से धरती पर रेडियो ब्लैकआउट्स हो सकता है. खासतौर से मेक्सिको के इलाके में.

11 से 14 मई के बीच चार बड़े धमाके सूरज में हुए हैं. ज्यादातर एक ही स्पॉट से. जिसकी वजह से इस वीकेंड पर भयानक सौर तूफान आया. सूरज में अब भी धमाका हो रहा है. 10 मई 2024 को सूरज में एक एक्टिव धब्बा दिखा. इसे AR3664 नाम दिया गया.

फिर इसमें तेज विस्फोट हुआ. सूरज की एक लहर धरती की ओर तेजी से बढ़ी. यह X5.8 क्लास की सौर लहर थी. इस तीव्र सौर लहर की वजह से सूरज की तरफ वाले धरती के हिस्से में हाई फ्रिक्वेंसी रेडियो सिग्नल खत्म हो गए थे.

इस समय सूरज पर जिस जगह बड़ा सनस्पॉट बना है, वो धरती की चौड़ाई से 17 गुना ज्यादा है. सूरज की तीव्र सौर लहरों की वजह से धरती के उत्तरी ध्रुव वाले इलाके में वायुमंडल सुपरचार्ज हो गया. जिससे पूरे उत्तरी गोलार्ध पर कई जगहों पर नॉर्दन लाइट्स देखने को मिलीं.

सौर तूफान के अलग-अलग क्लास?

इन दिनों सूरज काफी सक्रिय है. इससे जियोमैग्रेटिक तूफान आ रहे हैं. जिसे वैज्ञानिक भाषा में (M class) एम-क्लास और (X class) एक्स-क्लास के फ्लेयर्स यानी सौर लहर बोलते हैं. सूरज अगले 8 सालों तक इतना ही सक्रिय रहेगा. इस वजह से सौर तूफानों के आने की आशंका बनी रहेगी.

लाखों km/hr की गति से आता सौर तूफान

सूरज पर बने धब्बे से कोरोनल मास इजेक्शन होता है. यानी सूर्य की सतह पर एक तरह का विस्फोट. इससे अंतरिक्ष में कई लाख किलोमीटर प्रति घंटे की गति से एक अरब टन आवेषित कण (Charged Particles) फैलते हैं. ये कण जब धरती से टकराते हैं तब कई सैटेलाइट नेटवर्क, जीपीएस सिस्टम, सैटेलाइट टीवी और रेडियो संचार को बाधित करते हैं.

कैसे बनते हैं सूरज के धब्बे…?

जब सूरज के किसी हिस्से में दूसरे हिस्से की तुलना में गर्मी कम होती है, तब वहां पर धब्बे बन जाते हैं. ये दूर से छोटे-बड़े काले और भूरे रंग के धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं. एक धब्बा कुछ घंटों से लेकर कुछ हफ्तों तक रह सकता है. धब्बों अंदर के अधिक काले भाग को अम्ब्रा (Umbra) और कम काले वाले बाहरी हिस्से को पेन अम्ब्रा (Pen Umbra) कहते हैं.

INPUT : AAJ TAK