बिहार में सत्ता से बाहर होने के बाद भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अब लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जमीनी हकीकत जानने में जुटी है. इसके तहत राज्य के सभी 40 लोकसभा क्षेत्रों में बिहार कोर ग्रुप के 18 सदस्यों ने जिला स्तर पर पदाधिकारियों और मंच, मोर्चा, प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों की बैठक कर स्थिति का आकलन किया.

इस दौरान बैठक के दौरान क्षेत्र के जातिगत समीकरणों को भी जमीनी स्तर पर समझा गया तथा राज्य के ताजा हालातों और बदले परिदृश्य को लेकर कार्यकर्ताओं की भावना को समझा गया.

कार्यकर्ताओं को इस बात की आशंका
भाजपा सूत्रों का कहना है कि जदयू के एनडीए से अलग होने के बाद जमीनी कार्यकर्ता ही नहीं, नेता और समर्थक भी उत्साहित हैं. आधार वोट बैंक के साथ सामाजिक और बुद्धिजीवी वर्ग भी गदगद है. हालांकि सभी को इसकी आशंका है कि फिर शीर्ष नेतृत्व नीतीश कुमार की पार्टी से गठबंधन न कर ले.

नीतीश की वापसी से पार्टी का नुकसान
सूत्र दावा करते हैं कि कार्यकर्ता कोर कमिटी के सदस्यों को साफ संदेश दे चुके है कि किसी भी परिस्थिति में नीतीश की वापसी से पार्टी का नुकसान तय है. नवादा, वैशाली, वाल्मिकीनगर सहित चार लोकसभा क्षेत्र के लिए इस कार्यक्रम के सह संयोजक बनाए गए शुभम राज सिंह कहते है कि भाजपा की बैठक कोई नई बात नहीं है. गांव गांव तक संगठन को मजबूत करने का कार्य अनवरत चलते रहता है. 

साथ ही, उन्होंने कहा यह बैठक भी संगठन की मजबूती के लिए था. नीचे के स्तर पर जो भी कमियां सामने आई है, उन्हे दूर किया जाएगा.

इधर, भाजपा के एक नेता बताते हैं कि इन बैठकों के जरिए यह भी जानने का प्रयास किया गया कि केंद्र की योजनाएं नीचे के स्तर तक पहुंच रही है या नहीं. बैठक में ऐसे आक्रोशित लोगों को भी समझाने का प्रयास किए गए जो लोकसभा और विधानसभा चुनावों के दौरान सीट शेयरिंग में जनाधार वाले सीटों को भी पार्टी द्वारा सहयोगी दलों को सौंप दिया गया.

जमीनी हकीकत को समझने का प्रयास
इसके अलावा जातिगत समीकरण को साधने के लिहाज से भी जमीनी हकीकत को समझने का प्रयास किया जाता. बैठक में निष्क्रिय कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को उत्साहित करने के प्रयास करने पर जोर देते हुए मौका देने का निर्णय लिया गया तथा कर्मठ कार्यकर्ताओं को आगे लाने की बात कही गई.