चीन का जासूसी गुब्बारा अमेरिका के कई संवेदनशील सैन्य ठिकानों के बारे में खुफिया जानकारी हासिल करने में कामयाब रहा. उसे ब्लॉक करने की बाइडेन प्रशासन की तमाम कोशिशें नाकाम साबित हुईं. अमेरिका के दो मौजूदा और एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी.

इन तीनों अधिकारियों ने कहा कि चीन इस गुब्बारे को कंट्रोल कर रहा था और इसने कई संवेदनशील साइट्स के ऊपर से कई बार उड़ान भरी. यह रियल टाइम में जानकारी जुटाकर चीन भेज रहा था. चीन ने जो खुफिया जानकारी हासिल की, वह ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल्स से थी. इसे वेपन्स सिस्टम्स या बेस के कर्मचारियों के कम्युनिकेशन्स से हासिल किया जा सकता है. इसमें तस्वीरों की जरूरत नहीं होती.

मोंटाना में भी दिखा था गुब्बारा

चीन का यह जासूसी गुब्बारा संवेदनशील बैलिस्टिक मिसाइल साइट मोंटाना के ऊपर से भी गुजरता देखा गया था. हालांकि सफाई देते हुए चीन ने यह भी कहा था कि यह कोई जासूसी गुब्बारा नहीं है. यह एक सिविलियन प्लेन है, जिसे रिसर्च के मकसद से भेजा गया था. हालांकि अधिकारियों का यह अनुमान है कि शायद चीन ने अंदाजे से अधिक जानकारियां हासिल कर ली हैं. 

अमेरिका के रक्षा विभाग ने इस मामले में अपना वही बयान दोहराया जो उसने फरवरी में दिया था. बयान के मुताबिक, चीन ने जो गुब्बारा खुफिया जानकारी हासिल करने के लिए भेजा था, उसकी सीमाओं के बारे में मालूम नहीं किया जा सकता. चीन धरती की निचली कक्षा में मौजूद सैटेलाइट्स का इस्तेमाल कर खुफिया जानकारी हासिल करने के काबिल है.

क्या बोला था चीन

हालांकि चीन ने बार-बार अपनी सफाई में यही कहा कि यह गुब्बारा गलत रास्ते पर चला गया था. अमेरिकी वायुसेना ने फरवरी में एफ-22 से इस गुब्बारे को नेस्तनाबूद कर दिया था. बाद में बाइडेन प्रशासन ने कहा कि इस गुब्बारे ने इंटेलिजेंस सिग्नल हासिल कर लिया. 

रिपोर्ट्स के मुताबिक, चीन का यह जासूसी गुब्बारा खुद को नष्ट करने की खूबी से लैस था. मुमकिन है कि चीन ने इसे दूसरी जगह से एक्टिव किया हो. फिलहाल इसके बारे में साफ तौर से कुछ कहा नहीं जा सकता है. अधिकारियों के मुताबिक, या तो इस गुब्बारे के सिस्टम में कुछ खामी थी या फिर चीन ने ही इसको ट्रिगर नहीं किया. यह गुब्बारा 28 जनवरी को अलास्का में देखा गया था. तब प्रशासन ने कहा था कि हम इसको ट्रैक कर रहे हैं. 4 दिन बाद ये गुब्बारा मोंटाना में मिसाइल साइट तक पहुंच गया.

Input:- Zee News