भारत के पहले सूर्य मिशन आदित्य एल1 को लेकर ताजा जानकारी सामने आई है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चीफ एस सोमनाथ ने बताया है कि सूर्य का अध्ययन करने निकला सूर्ययान आदित्य एल1 अपने अंतिम चरण के करीब है।

उन्होंने बताया कि सूर्ययान के एल1 बिंदु में प्रवेश करने की प्रक्रिया सात जनवरी 2024 तक पूरी होने की उम्मीद है। इसरो प्रमुख ने पहले ध्वनि रॉकेट प्रक्षेपण के 60वें वर्ष के उपलक्ष्य में विक्रम साराबाई अंतरिक्ष केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम के मौके पर कहा कि आदित्य रास्ते में है और मुझे लगता है कि यह अपने अंतिम चरण में लगभग पहुंच गया है।

उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष यान के एल1 बिंदु में प्रवेश की अंतिम तैयारियां लगातार आगे बढ़ रही हैं। इसरो की ओर से आदित्य एल1 को इसी साल दो सितंबर को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया था।

इसरो के अनुसार, आदित्य-एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहली अंतरिक्ष-आधारित वेधशाला है। अंतरिक्ष यान 125 दिन में पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर की यात्रा करने के बाद लैग्रेंजियन बिंदु ‘एल1’ के आसपास एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित होगा।

बता दें, एल1 बिंदु को सूर्य के सबसे निकट माना जाता है। आदित्य एल1 सूर्य के रहस्य जानने के लिए विभिन्न प्रकार के वैज्ञानिक अध्ययन करने के साथ ही विश्लेषण के वास्ते इसकी तस्वीरें भी धरती पर भेजेगा। लैग्रेजियन पॉइंट इतालवी-फ्रेंच गणितज्ञ जोसेफी लुई लैग्रेंज के नाम पर रखा गया है।

यह धरती और सूर्य के बीच एक ऐसा प्वाइंट है, जहां पर गुरुत्वाकर्षण बल संतुलित रहता है। अगर इस प्वाइंट पर कोई ऑब्जेक्ट रखा जाता है तो वह न तो सूर्य की तरफ बढ़ेग और न ही पृथ्वी की तरह। बल्कि यह एक निश्चित कक्षा में सूर्य का चक्कर काटना शुरू कर देगा। आदित्य एल1 इसी प्वाइंट से सूर्य की तस्वीरें पृथ्वी पर इसरो को भेजेगा, जिसकी मदद से सूर्य के किनारों पर होने वाली हीटिंग का अध्ययन किया जाएगा।

INPUT : TIMES NOW NAVBHARAT