भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह संग्रहालय आम लोगों के लिए खोला जा रहा है. पुराने जेल परिसर में बनाये गये इस संग्रहालय का लोकार्पण नवंबर में किया गया था. 15 नवंबर 2021 को राज्य स्थापना दिवस के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका ऑनलाइन उद्घाटन किया था. यहां कई शहीदों की प्रतिमा स्थापित कर उनकी शौर्यगाथा सुनाई जाएगी.

शौर्यगाथा की जाएगी अंकित
जानकारी के मुताबिक, उद्यान सह संग्रहालय की कुल लागत 142 करोड़ रुपये है. इसमें से 117 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने खर्च किया है. वहीं, भारत सरकार ने 25 करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की है. उद्यान में म्यूजिकल फाउंटेन, कैफेटेरिया व इनफिनिटी पुल का निर्माण पूरा कर लिया गया है.

यहां सिदो-कान्हू, नीलांबर-पीतांबर, दिवा किशुन, गया मुंडा, तेलंगा खड़िया, जतरा टाना भगत, वीर बुधु भगत समेत कुल 13 शहीदों की प्रतिमाओं की स्थापना की जा रही है. उनकी शौर्य गाथा भी अंकित की जायेगी.

भगवान बिरसा मुंडा की 25 फीट ऊंची प्रतिमा
उद्यान का मुख्य आकर्षण वहां स्थापित की जा रही भगवान बिरसा मुंडा की 25 फीट ऊंची प्रतिमा है. हिंदी, अंग्रेजी, मुंडारी समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में शहीदों की जीवनी बतायी जायेगी. इसके अलावा लाइट एंड साउंड शो के जरिये भी राज्य के गौरवान्वित इतिहास की जानकारी दी जायेगी. वहीं, जेल परिसर के एक हिस्से को संग्रहालय के रूप में परिवर्तित किया गया है. संग्रहालय युवाओं को अपनी विरासत और धरोहर की जानकारी देगा. इसमें भगवान बिरसा मुंडा से जुड़ी स्मृतियों को संजो कर रखा गया है. मार्च तक इसका निर्माण पूरा होगा.

ये है खासियत
जेल के एक बड़े हिस्से को अंडमान-निकोबार की सेल्युलर जेल की तर्ज पर विकसित किया गया है. इसकी दीवारों को मूल रूप में संरक्षित किया गया है. इसमें पुरातत्व विशेषज्ञों की मदद ली गई है. जेल का मुख्य गेट इस तरह बनाया गया है कि वहां 1765 के कालखंड की स्थितियां और उस वक्त आदिवासियों के रहन-सहन और जीवन शैली को जीवंत किया जा सके. जेल का अंडा सेल, अस्पताल और किचन को भी पुराने स्वरूप में संरक्षित किया जा रहा है.