. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के जारी ताजा आंकड़ों के मुताबिक साल 2020 में बिहार में आत्महत्या के मामलों में पिछले साल के मुकाबले बढ़े हैं, लेकिन देश में सबसे कम आत्महत्या के मामले बिहार में ही दर्ज हुए हैं.
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में बिहार में कुल 809 लोगों ने आत्महत्या की. जबकि साल 2018 में आत्महत्या के कुल 443 मामले सामने आये थे. वहीं, साल 2019 में कुल 641 मामले सामने आये.
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देश में 2020 में आत्महत्या के 153052 मामले सामने आये, यानी औसतन रोज 418 लोगों ने आत्महत्या की. यही नहीं वर्ष 2019 के मुकाबले 2020 में आत्महत्या के मामलों में लगभग 10 फीसदी की वृद्धि हुई. आत्महत्या के सर्वाधिक मामले महाराष्ट्र में सामने आये और राज्य में वर्ष 2020 में 19909 लोगों ने आत्महत्या की.
यह देश में हुई कुल आत्महत्या का लगभग 13 फीसदी है. इसके बाद तमिलनाडु में 16883, मध्य प्रदेश में 14578, पश्चिम बंगाल में 13103 और कर्नाटक में 12259 लोगों ने आत्महत्या की. एनसीआरबी के आंकड़े के मुताबिक देश में हुई कुल आत्महत्या में से इन पांच राज्यों में आत्महत्या के कुल मामलों के 50.1 फीसदी मामले सामने आये.
देश में सबसे कम आत्महत्या की दर भी बिहार में रही. बिहार में प्रति लाख आबादी पर 0.7 लोगों ने आत्महत्या की. जबकि झारखंड में यह 5.6, छत्तीसगढ़ में 26.4, केरल में 24, तमिलनाडु में 22.2, तेलंगाना में 21.2, ओडिशा में 12.2, पश्चिम बंगाल में 13.4, उत्तराखंड में 8.3 और उत्तर प्रदेश में 2.1 रही. जबकि राष्ट्रीय औसत 11.3 रही.
पारिवारिक वजहों से सबसे अधिक करते हैं आत्महत्या
बिहार में लगभग 383 लोगों ने पारिवारिक वजह के कारण आत्महत्या की और यह राज्य में कुल आत्महत्या का 47.3 फीसदी है, जबकि ओडिशा में यह 81 फीसदी रही. रिपोर्ट के अनुसार देश में होने वाली कुल आत्महत्या में पारिवारिक कारणों के कारण 33.6 फीसदी लोगों ने आत्महत्या की.
18 फीसदी बीमारी, 6 फीसदी नशे की लत, 5 फीसदी शादी संबंधी वजह, प्यार के कारण 4.4 फीसदी, कर्ज के कारण 3.4 फीसदी, बेरोजगारी 2.3 फीसदी, परीक्षा में असफल होने के कारण 1.3 फीसदी, गरीबी के कारण 1.2 फीसदी, संपत्ति विवाद के कारण 0.9 फीसदी, अवैध संबंध के कारण 0.5 फीसदी और बाकी अन्य वजहें हैं.