हरियाणा के इस छोरे में वाकई कुछ तो बात है! रविवार सुबह कई भारतीयों की चाय कप में रखी-रखी ठंडी हुई होगी। और मुकाबला जब खत्म हुआ, तो वह उसे जोश में गटक भी गए होंगे। वर्ल्ड ऐथलेटिक्स चैंपियनशिप में  ने जिस धड़कनें बढ़ा देने वाले करिश्मे के साथ देश को सिल्वर मेडल दिया, वह अब इतिहास है। उनका यह ऐतिहासिक प्रदर्शन हार न मानने और उसे जीत में बदलने की गाथा भी लिख गया।

रविवार सुबह हाथ में भाला लेकर नीरज ने पहली दौड़ लगाई। करोड़ों भारतीयों की उम्मीदें और दुआएं उनके साथ थीं। उनसे करिश्मे की उम्मीद थी। माना जा रहा था ओलिंपिक और क्वालिफाइंग राउंड की तरह वह पहले ही वार में बाकियों को चित कर देंगे। लेकिन यह क्या! पहला थ्रो फाउल हुआ। दिल टूटे, लेकिन उम्मीद अभी बाकी थी। सांसें रोक देने वाली असली पिक्चर इसके बाद शुरू हुई।

नहीं मानी ओलिंप‍िक के गोल्‍डन बॉय ने हार

नीरज ने पहला राउंड पूरा होने के बाद दूसरी बार फिर दौड़ लगाई। लेकिन, भाला उम्मीद के मुताबिक नहीं गया। वह महज 82.39 मीटर ही फेंक पाए। धड़कनें अब और बढ़ गई थीं। लग रहा था नीरज आज अपने रंग में नहीं हैं। मेडन की उम्मीद धुंधली होती जा रही थी। तीसरे राउंड में नीरज ने जोर ज्यादा लगाया। भाला इस बार 86.37 मीटर तक गया। लेकिन यह मेडल तक पहुंचने के लिए नाकाफी था। तीसरे राउंड तक वह अब चौथे नंबर पर थे। उम्मीद जैसे खत्म हो चुकी थी। गोल्ड के लिए उन्हें 90 के पार जाना था, जो फेंककर एंडरसन पीटर्स नंबर वन पर थे।

लेकिन करिश्मा इसके बाद हुआ। नीरज ने चौथे राउंड में वह किया, जिसे करिश्मा कहते हैं। उनके बाजुओं में चमत्कार करने की ताकत है, यह उन्होंने दिखाया। दिमागी ताकत को भी उन्होंने साबित किया। चौथी कोशिश में उन्होंने 88.13 मीटर तक भाला फेंका। यह उनके पिछले दिनों तोड़े गए नैशनल रेकॉर्ड से कम था, लेकिन 19 साल बाद जैवलिन थ्रो में एक चांदी का पन्ना जोड़ने में सफल रहे।