बिहार के सरकारी स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई का स्तर सुधरे इसके लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक लगातार प्रयास में जुटे हुए हैं. इसी क्रम में वो स्कूलों का निरीक्षण कर रहे हैं. निरीक्षण के दौरान उन्होंने पाया की कई स्कूलों में प्राथमिक कक्षा के बच्चे शुद्ध हिंदी तक भी नहीं पढ़ पा रहे हैं.

ऐसे में केके पाठक ने प्रारंभिक विद्यालयों में कमजोर छात्रों के लिए ‘मिशन दक्ष’ शुरू करने का आवश्यक निर्देश सभी जिलों के डीएम को दिया है. इस कार्यक्रम के तहत प्रत्येक शिक्षक वर्ग तीन से आठ के पांच-पांच चिह्नित बच्चों को विद्यालय की गतिविधि समाप्त होने के बाद या भोजनावकाश के बाद पढ़ायेंगे.

इन बच्चों की परीक्षा जिला स्तर पर अप्रैल 2024 में आयोजित होगी. इस परीक्षा में असफल होने पर संबंधित प्रधानाध्यापक व शिक्षक पर कार्रवाई होगी. इस संबंध में मोतिहारी डीइओ संजय कुमार ने बताया कि इस कार्यक्रम को लेकर जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया है.

जिसमें डीएम अध्यक्ष है वहीं डीडीसी, डीइओ, प्राचार्य डायट व बायट, डीपीओ माध्यमिक शिक्षा तथा डीपीओ एसएसए सदस्य है. डीइओ ने बताया कि मिशन काे धरातल पर उतारने के लिए कवायद शुरू हो गयी है. गुरुवार को डीएम की अध्यक्षता में सभी सदस्यों की बैठक हुई जिसमें डीएम ने विभागीय निर्देश के आलोक में मिशन की तैयारी करने का निर्देश दिया है.

डीइओ ने बताया कि प्रथम चरण में 30 नवंबर तक वर्ग तीन से आठ के कमजोर छात्रों को चिह्नित किया जाना है. इस श्रेणी में उन छात्रों को रखना है जो हिन्दी के कुछ वाक्य धाराप्रवाह नहीं पढ़ सकते हैं और नहीं लिख सकते हैं. ऐसे छात्र जो मौलिक गणित में सक्षम नहीं है तथा ऐसे छात्र जिन्हें अंग्रेजी वर्णमाला की जानकारी का अभाव है.

छात्रों को चिह्नित करने के बाद एक दिसंबर से मिशन दक्ष शुरू होगा. दूसरे चरण में विद्यालय की गतिविधि समाप्त होने अथवा भोजनावकाश के बाद चिह्नित छात्रों के लिए विशेष कक्षा शुरू होगी जिसमें एक शिक्षक अधिकतम पांच बच्चों को पढ़ायेंगे.

शिक्षक कम होने पर माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक भी फीडर एरिया के विद्यालयों में जाकर पढ़ायेंगे. इस मिशन में टोला सेवकों को भी जिम्मेवारी दी गयी है. इन्हें भी पांच कमजोर छात्र सौंपे जाएंगे. साथ ही इन्हें मिशन से संबंधित बच्चों को शिक्षकों तक पहुंचाने की जिम्मेवारी दी गयी है.

अपर मुख्य सचिव ने डीइओ को सभी विद्यालय के साथ एक -एक टोला सेवक को टैग करने का निर्देश दिया है. इसके अलावे डायट, बायट के प्रशिक्षु,आइसीटी लैब के इंस्ट्रक्टर काे भी लगाया जा सकता है. विद्यालय में कमरों की संख्या कम होने पर प्रधानाध्यापक कक्ष, परिसर में चल रहे आंगनबाडी केन्द्र व सीआर सी व बीआरसी का उपयोग किया जा सकता है.

इस मिशन को लेकर कक्षाओं का कैलेंडर जारी किया गया है. जिसमें अकादमिक सत्र 2023-24 के लिए विशेष कक्षा एक दिसंबर से शुरू होकर 15 मार्च 24 तक संचालित होगी. पुनः सत्र 2024-25 के लिए एक अप्रैल से शुरू होकर 15 मार्च 2025 तक चलेगी. सत्र 2023-24 की वार्षिक परीक्षा 20 से 31 मार्च 2024 के बीच ली जाएगी. इस परीक्षा के बाद मिशन दक्ष के तहत पढ़ाई करने वाले बच्चों की जिलास्तर पर परीक्षा अप्रैल 2024 अथवा गृष्मावकाश के दौरान होगी.

बच्चे हुए फेल तो एचएम व शिक्षक होंगे जिम्मेवार

मिशन दक्ष की परीक्षा में अगर बच्चे असफल होते है तो इसके लिए संबंधित विद्यालय के एचएम व शिक्षक जिम्मेवार माने जाएगे. यदि ये बच्चे खराब प्रदर्शन करते हैं तो संबंधित विद्यालय के प्रधानाध्यापक पर विभागीय कार्रवाई होगी. इन विद्यालय के शिक्षकों का वेतन जब्त किया जा सकता है या निलंबित किये जा सकते हैं.

कहते हैं अधिकारी

विभागीय निर्देश के आलोक में मिशन दक्ष को लेकर तैयारी शुरू कर दी गई है. एक दिसंबर से विशेष कक्षाएं शुरू होंगी. जिले के प्रारंभिक विद्यालयों के 19 हजार शिक्षक 95 हजार बच्चों को पढ़ा कर उनके वर्ग के सापेक्ष दक्ष बनायेंगे. -संजय कुमार,डीइओ ,पूर्वी चंपारण

अपर मुख्य सचिव केके पाठक द्वारा सभी डीएम को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि यह समूची कवायद एक दिसंबर से प्रारंभ की जायेगी. इसके संचालन के लिए जिला पदाधिकारियों की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गयी है, जिसमें मिशन दक्ष के संचालन के लिए जरूरी दिशा निर्देश दिए गये हैं.

अपर मुख्य सचिव पाठक ने कहा कि प्रत्येक शिक्षक को अधिकतम पांच बच्चे पढ़ाने होंगे, इससे अधिक नहीं. शिक्षकों को इतने बच्चे एडोप्ट करने होंगे. इन शिक्षकों की जिम्मेदारी होगी कि बच्चों को उस कक्षा का स्तरीय ज्ञान दें , जिस में उनका नामांकन कराया गया है.

दरअसल कमजोर बच्चों से आशय ऐसे विद्यार्थियों से है जो जिस कक्षा में पढ़ रहे हैं, उसके स्तर से कम ज्ञान या समझ रखते हैं. अपर मुख्य सचिव पाठक ने यह व्यवस्था दी है कि मिशन दक्ष में माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों की अहम भूमिका होगी.

कहा है कि सभी माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की हाजिरी दैनिक रूप में लगेगी, लेकिन यह ध्यान रखा जायेगा कि इस दौरान उन्होंने कितनी कक्षाएं ली हैं. अगर मिशन दक्ष की कक्षा मिला कर यह शिक्षक छह घंटिया नहीं पढ़ाते हैं तो यह माना जायेगा कि वे विद्यालय में केवल सशरीर उपस्थित थे. लिहाजा उस दिन का वेतन भुगतान नहीं किया जायेगा.


अपर मुख्य सचिव पाठक ने जिला पदाधिकारियों को बताया है कि अप्रैल 2024 में 25 लाख बच्चों की जिला स्तर पर एक परीक्षा ली जायेगी. यदि उस परीक्षा में यह बच्चे फेल होते हैं तो संबंधित प्रधानाध्यापक और शिक्षकों पर विभागीय कार्यवाही की जायेगी. इस पूरी कवायद का जिम्मा जिला पदाधिकारियों को सौंपा गया है.

माध्यमिक शिक्षकों को नियमित रूप से अपने विद्यालय के पोषक क्षेत्र के दायरे में आने वाले प्राइमरी स्कूलों में एकेडमिक सपोर्ट देना होगा. जिला पदाधिकारियों से कहा गया है कि वह माध्यमिक शिक्षकों से यह सुनिश्चित करायें कि वह रोजाना कम से कम छह कक्षाएं जरूर लें. उल्लेखनीय है कि राज्य के स्कूलों में कुल शिक्षकों की संख्या पांच लाख हो गयी है.

INPUT : PRABHAT KHABAR