नेपाल के व्यापारियों ने भारत से प्याज, आलू और अन्य सब्जियों का आयात बंद कर दिया है. नेपाल के व्यापारियों ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने पिछले महीने इन उत्पादों पर 13 प्रतिशत का मूल्य वर्धित कर (वैट) लगा दिया है, जिसके बाद उन्होंने इनका आयात बंद कर दिया है. विपक्षी सांसदों ने नेपाल सरकार के कदम की आलोचना करते हुए तर्क दिया है कि यह कम आय वाले परिवारों को खाद्य असुरक्षा के प्रति संवेदनशील बना देगा और उन लोगों की पीड़ा को बढ़ा देगा जो पहले से ही आसमान छूती महंगाई से बुरी तरह प्रभावित हैं

29 मई को संसद में पेश किए गए वित्त विधेयक के अनुसार, आयातित प्याज, आलू और अन्य सब्जियों और फलों पर अब 13 प्रतिशत वैट लगेगा. वित्त मंत्री प्रकाश शरण महत ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा कि इसका उद्देश्य स्थानीय किसानों की रक्षा करना और आयात में कटौती करना है.

नेपाल अपने जरूरत का लगभग सारा का सारा प्याज पड़ोसी देश भारत से आयात करता है. पिछले साल उसने भारत से 1,73,829 टन प्याज का आयात किया था. नेपाल आलू उगाता है जो लगभग 60 प्रतिशत स्थानीय मांग को पूरा करता है, जबकि शेष आलू का भारत से भी आयात किया जाता है.

विपक्षी सांसदों ने वित्त मंत्री की आलोचना करते हुए कहा कि उनका यह तर्क कि वैट को स्थानीय किसानों की सुरक्षा के लिए लागू किया गया है, में कोई दम नहीं है क्योंकि नेपाल अपने प्याज के लिए लगभग पूरी तरह से भारत पर निर्भर है.

कालीमाटी फ्रूट्स एंड वेजिटेबल मार्केट के एक थोक व्यापारी केशव उप्रेती ने कहा, ‘सरकार द्वारा वैट लागू करने से पहले काठमांडू घाटी भारत से रोजाना 700 से 1,000 टन प्याज का आयात करती थी.’ उन्होंने कहा, ‘पिछले 10 दिन में भारत से प्याज आना बंद हो गया है.’उप्रेती ने कहा कि वैट का भुगतान करके भारत से सब्जियां आयात करते समय कानूनी परेशानी भी थी. इसके चलते सब्जियों के दाम चढ़ गए हैं.

प्याज और आलू के अलावा, नेपाल भारत से बैंगन, मटर, लहसुन, बींस और पालक भी आयात करता है. इसी तरह, यह भारत से एवोकैडो, सेब, खुबानी, चेरी, रसभरी, क्रैनबेरी, कीवी और आम जैसे फलों का भी आयात होता है. नेपाल के केंद्रीय बैंक के अनुसार, साल-दर-साल महंगाई दर मई में 7.41 प्रतिशत पर पहुंच गई.