बिहार में सातवें दौर के नियोजन के लिए अभ्यर्थियों ने आंदोलन शुरू कर दिया है. पटना के गर्दनीबाग धरना स्थल पर बीटीइटी और सीटीइटी पास अभ्यर्थी अनिश्चितकालीन आंदोलन की योजना के साथ आज से धरना पर बैठ गए हैं. हालांकि शिक्षा विभाग ने अभी इस पर कुछ नहीं कहा है. वहीं दूसरी ओर आंदोलन को धार देने के मकसद से माले के विधायक मनोज मंजिल भी पहुंचे और उन्होंने सरकार से नियोजन शुरू कराने की मांग की है.

अभ्यर्थी आज गर्दनीबाग स्थित धरना स्थल पहुंचे
बता दें कि बिहार में छठे दौर का नियोजन पूरा होने वाला है और इससे पहले सातवें दौर के नियोजन की मांग होने लगी है. क्लास एक से लेकर क्लास आठ तक के लिए स्कूलों में नियोजन के लिए अभ्यर्थियों ने जोर लगाना शुरू कर दिया है. सरकार और शिक्षा विभाग पद दबाव डालने के मकसद से बिहार के अलग-अलग जिलों के अभ्यर्थी आज गर्दनीबाग स्थित धरना स्थल पहुंचे. ये वो अभ्यर्थी हैं जिन्होंने साल दो हजार उन्नीस के दिसंबर में केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा पास की है.अलग-अलग जिलों से पहुंचे अभ्यर्थियों ने कहा है कि जब शिक्षकों के पद खाली है तो फिर नियोजन में क्या दिक्कत है.

अभ्यर्थियों को विपक्षी दलों का समर्थन
दरअसल शिक्षा विभाग ने छठे दौर के नियोजन को करीब-करीब पूरा कर लिया है.चालीस हजार अभ्यर्थियों का नियोजन हो चुका है और विशेष नियोजन के जरिए एक हजार पद को और भरा जाना है. जिसके बाद बिहार में छठे दौर का शिक्षक नियोजन खत्म हो जाएगा. खुद विभाग के मंत्री विजय कुमार चौधरी कई बार कह चुके हैं कि, सातवें दौर का नियोजन तभी शुरू होगा जब छठे दौर का नियोजन खत्म होगा. हालांकि बेरोजगार युवाओं के सामने रोजगार के लिए अब आंदोलन ही विकल्प बन रहा है. दूसरी ओर बीटीइटी और सीटीइटी अभ्यर्थियों को विपक्षी दलों का समर्थन मिलने लगा है.

माले विधायक अभ्यर्थियों के सुर में सुर मिलाया
 मनोज मंजिल ने कहा कि, एक ओर सरकारी स्कूलों में चार लाख पद खाली हैं दूसरी ओर योग्य अभ्यर्थी नौकरी के लिए आंदोलन कर रहे हैं.इसे दुरूस्त करने की जरूरत है. दरअसल छठे दौर के नियोजन चलाने के बावजूद पचास हजार पद रिक्त रह गए.अभ्यर्थियों इन रिक्त पदों के लिए भी नियोजन की मांग कर रहे हैं. छठे दौर का नियोजन क्लास एक से लेकर क्लास आठ और क्लास नौ से लेकर बारह तक के स्कूलों के लिए हुआ है.

नियोजन की मांग के लिए अभ्यर्थी अब सड़क पर उतर चुके हैं. बिहार का इतिहास गवाह रहा है कि जब तक युवा आंदोलन के लिए नहीं निकलते हैं. दो चार बार पुलिस के आंसु गैस को नहीं झेलते हैं, तब तक उन्हें नौकरी नहीं मिलती है.आशंका है कि कहीं इस बार इन अभ्यर्थियों के साथ ऐसा न हो.

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