दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में दशकों तक रंगभेद नीति के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले डेसमंड टूटू (Desmond Tutu) का रविवार को अंतिम संस्कार किया गया. टूटू के परिवार और चाहने वालों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी. टूटू ने अपने अंतिम संस्कार को पारंपरिक तरह से करने की जगह इको-फ्रेंडली रखने की इच्छा जताई थी और इसी के अनुरूप उनके शव का ‘एक्वामेशन’ (Aquamation) किया गया. इस प्रक्रिया में आग के बजाए पानी का इस्तेमाल किया जाता है.

क्या है Aquamation?
CNN की रिपोर्ट के अनुसार, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता (Nobel Peace Prize Winner) आर्कबिशप डेसमंड टूटू का अंतिम संस्कार उनकी इच्छा के अनुसार ही किया गया. इसके लिए एक ऐसी प्रक्रिया अपनाई गई, तो पर्यावरण के अनुकूल है. एक्वामेशन या एल्केलाइन हाइड्रोलिसिस पारंपरिक तरह से आग का इस्तेमाल कर शव को जलाने से काफी अलग है. इस प्रक्रिया में मृतक के शव को एक उच्च दाब वाले धातु के सिलेंडर के अंदर पानी और क्षारीय तत्व (पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड) के घोल में रखा जाता है और सिलेंडर को करीब तीन से चार घंटे के लिए 150 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है.

इस तरह अमल में आती है प्रक्रिया
एक्वामेशन में एक्सपर्ट अमेरिकी कंपनी बायो-रिस्पांस सॉल्यूशंस के अनुसार, ये प्रक्रिया पारंपरिक दाह संस्कार की तुलना में 90% कम ऊर्जा इस्तेमाल करती है और हानिकारक ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन नहीं करती. इस प्रक्रिया में शरीर पूरी तरह से तरल में बदल जाता है और कंटेनर में सिर्फ हड्डियां बचती हैं. हड्डियों को एक गर्म ओवन में सुखाया जाता है और बाद में इनका चूरा बनाकर अस्थि कलश में रखकर परिजनों को सौंप दिया जाता है. एक्वामेशन की यह तकनीक अभी सिर्फ कुछ ही देशों में मान्य है.

सबसे सस्ता ताबूत खरीदा गया
आर्कबिशप डेसमंड टूटू पर्यावरण संरक्षण के लिए जुनूनी थे. उन्होंने इस पर कई भाषण दिए और जलवायु संकट से निपटने के लिए आवश्यक कदमों के बारे में कई लेख भी लिखे. इसलिए वह चाहते थे कि उनका अंतिम संस्कार पर्यावरण अनुकूल तरीके से हो. 90 वर्ष की उम्र में रविवार को आखिरी सांस लेने वाले टूटू लंबे समय तक रंगभेद नीति के खिलाफ लड़ाई लड़ते रहे. उनके पार्थिव शरीर को रखने के लिए बाजार में उपलब्ध सबसे सस्ता ताबूत खरीदा गया, क्योंकि वह ऐसा ही चाहते थे.