नए साल की शुरुआत हो गई है. लोग एक दूसरे को नववर्ष की बधाई दे रहे हैं. लेकिन, बिहार की सियासत में अचानक से सरगर्मी तब तेज हो गई जब बिहार बीजेपी के दो बड़े नेताओं ने दावा किया कि बहुत जल्द बिहार में राजनीतिक खेल (Bihar Politics) हो सकता है क्योंकि जदयू के कई मंत्री और विधायक बीजेपी के संपर्क में है. बीजेपी नेताओं ने कहा कि देखिए खरमास (Kharmas Politics) के बाद क्या-क्या होता है. इसी के बाद ठंढ के मौसम में भी सियासी गर्मी बढ़ गई है.

दरअसल सम्राट चौधरी नेता विरोधी दल (Samrat Chowdhary) ने बताया कि जदयू की नींव हिल चुकी है. उसका वोट बैंक अब बीजेपी के तरफ़ शिफ्ट कर चुका है. इस वजह से जदयू के नेता परेशान हैं और अब उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि क्या करें. ऐसे में उनके सामने विकल्प के तौर पर बीजेपी ही दिख रही है, क्योंकि विधायक से लेकर एमपी तक राजद के विरोध में जीत कर आए थे. अब जब नीतीश कुमार (Nitish Kumar) तेजस्वी यादव को सत्ता सौपने की तैयारी में है. जदयू के विधायक और एमपी इस बात को लेकर तैयार नहीं हो रहे हैं. उनके सामने बीजेपी के अलावा कोई रास्ता नहीं है. क्योंकि बीजेपी उनके लिए स्वाभाविक सहयोगी पार्टी है. थोड़ा इंतज़ार कर लीजिए जल्द ही बिहार की राजनीतिक तस्वीरें साफ़ हो जाएगी.

इसके पहले पूर्व उप मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता तार किशोर प्रसाद ने भी दावा किया था कि जदयू के कई विधायक और एमपी बीजेपी के संपर्क में है. बहुत जल्द जदयू में बड़ी टूट होगी इसके बाद से ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. लेकिन, बीजेपी के दावे के बाद जदयू ने भी पलटवार किया है. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी जिसके हाथ को पकड़ कर बिहार के सियासत में बढ़ी आज उसी को तोड़ने की बात कह रहा है. इससे ज़्यादा हास्यास्पद और क्या हो सकता है. जदयू की नींव इतनी मजबूत है कि उससे तोड़ना तो छोड़ दीजिए हिला भी नहीं सकता हैं. दरअसल बीजेपी नीतीश जी के मुहिम और बढ़ती लोकप्रियता से घबरा गई है इस वजह से अपने पार्टी के विद्यायको और एमपी में हो रहे घबराहट को रोकने के लिए इस तरह के दावे कर रही हैं.

वहीं बिहार के वरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय कहते हैं कि कौन सी पार्टी में टूट होगी या नहीं होगी यह तो साफ-साफ नहीं कहा जा सकता हैं. लेकिन, अमूमन ऐसा देखा जाता है कि चुनाव का समय जैसे-जैसे नज़दीक आता है. नेताओं के दल-बदल का खेल शुरू हो जाता है. जहां भी जिस नेता को अपना राजनीतिक भविष्य ठीक दिखता है वो उसका रास्ता पकड़ लेता है. इस वजह से अगर ऐसी घटनाएं घटे तो कोई हैरानी की बात नहीं है.

Input: – News 18