द हिंदू में छपी एक रिपोर्ट के अनुसार विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा से पहले इंडिया गठबंधन के कुछ नेताओं और मार्क्सवादी लेनिनवादी कम्युनिस्ट पार्टी के विधायक महबूब आलम भी मांझी से मुलाक़ात करने पहुंचे.

मांझी की दोनों के साथ चर्चा बंद दरवाज़ों के पीछे हुई जो तकरीबन आधे-आधे घंटे चली.

अख़बार लिखता है कि लालू प्रसाद यादव ने कथित तौर पर जीतन राम मांझी को सीएम पद की पेशकश की है और कहा है कि अगर बिहार में विपक्ष की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री पद उन्हें दिया जाएगा. विधानसभा में एचएएम-एस के चार विधायक हैं.

एनडीए से नाराज़ मांझी
पांच दिन पहले उन्होंने राज्य में हाल में बनी एनडीए सरकार में अपने बेटे संतोष कुमार सुमन को दिए पोर्टफ़ोलिया को लेकर नाराज़गी जताई थी.

गया में एक जनसभा में उन्होंने कहा था कि “1984 से लेकर 2013 तक मैं अनुसूचित जाति विकास विभाग में मंत्री रहा और मेरे बेटे को भी वही विभाग दिया गया है.”

उन्होंने सवाल किया कि सड़क निर्माण या फिर जल संसाधन जैसे विभाग उन्हें क्यों नहीं दिए गए.

इसके बाद पार्टी ने अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी किया और कहा कि विश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दिन वो लोग सदन में मौजूद रहें.

मांझी के राजनीतिक सलाहकार दानिश रिज़वान ने द हिंदू को बताया कि व्हिप का नाता इस बात से नहीं है कि किसे वोट देना है और किसे नहीं, विधायकों से कहा गया है कि उस दिन वो सदन में ज़रूर उपस्थित रहें.

वहीं महबूब आलम ने कहा कि मांझी से उनकी मुलाक़ात का नाता विश्वास मत से नहीं है.

उन्होंने कहा, “मैं उनका हाल-चाल जानने आया था और वो अभी पूरी तरह स्वस्थ हैं. खेल कैसे खेलना है ये उन्हें पता है. वो ग़रीबों की आवाज़ बने रहे हैं. मैंने उनसे कहा कि वो ग़रीबों के लिए काम करते रहें.”

विश्वास मत से पहले आरजेडी, जेडीयू और बीजेपी भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ रही है. शनिवार को जेडीयू ने कैबिनेट मंत्री श्रवण कुमार के यहां अपने सभी विधायकों को लंच के लिए बुलाया था. माना जा रहा है कि पार्टी विधायकों की गिनती करना चाहती थी. लेकिन इसमें 45 विधायकों में से 38 नेता शामिल नहीं हुए.

श्रवण कुमार ने कहा कि जो लोग लंच में नहीं आए उनकी पहले से व्यस्तताएं थीं जिसके बारे में उन्होंने पहले ही पार्टी को बता दिया था.

विश्वास मत से पहले कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया है, वहीं बीजेपी ने अपने विधायकों को बोध गया भेजा है.

आरजेडी ने भी विश्वास मत से पहले अपनी रणनीति पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई थी. सभी 79 विधायकों को विश्वास मत तक तेजस्वी यादव के आधिकारिक बंगले पर रहने को कहा गया है.

बिहार की 243 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की ज़रूरत है. आंकड़ों के अनुसार एनडीए के पास फिलहाल 128 विधायक हैं, जिनमें बीजेपी के 78, जदयू के 45, एचएएम-एस के 4 और निर्दलीय विधायक सुमित सिंह हैं.

वहीं महागठबंधन के पास 114 विधायक हैं, जिन्हें आरजेडी के 79, कांग्रेस के 19 और वाम पार्टियों के 16 विधायक हैं.