आमतौर पर सभी जानते हैं कि दीपावली के दिन देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. लेकिन दिवाली का त्योहार भी एक रहस्य है. दीपावली वर्ष की सबसे अंधेरी रात यानी कार्तिक अमावस्या को पड़ती है. यह दिन देवी दुर्गा की अन्य तांत्रिक शाक्तियों के प्राकट्य का है. इस दिन खास तौर पर महाकाली, तारा और भुवनेश्वरी का प्रादुर्भाव हुआ, जिन्होंने राक्षसों का अंत करने के लिए भयंकर विकराल स्वरूप लिए. संसार में फैले तम (अंधकार) को हरने के लिए इन्हें भी तामसिक अवतार लेने पड़े. इसलिए दिवाली पर महानिशीथ काल में देवी काली की पूजा का विधान है. रहस्य यह है कि असल में दीपावली देवी लक्ष्मी की पूजा से अधिक देवी काली की पूजा का दिन है.  

कार्तिक चतुर्दशी-अमावस्या की मध्य रात्रि में मां काली की पूजा की जाती है. दुष्टों का संहार करने वाली मां काली की आराधना से जीवन के सारे कष्टों से मुक्ति मिलती है. मन के भय दूर होते हैं. राहु-केतु जैसे ग्रहों से शांति और शत्रुओं का नाश होता है. मां काली दस महाविद्याओं की महादेवी हैं. इस पूजा को महानिशा पूजा और श्यामा पूजा भी कहा जाता है. पूर्वी भारत खासकर बंगाल और मिथिला में काली पूजा की खूब धूमधाम होती है. मध्य रात में वैदिक और तंत्र विधि से काली पूजा करने से साधक की शक्ति जाग्रत होती है. बीज मंत्र ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाए विच्चे… का जाप रक्तचंदन के माला से 108 बार करने से कल्याण होता है. भक्त उसदिन 108 बार जाप जरूर करते है.

हनुमान जी की भी करें पूजा
दीवाली की रात माता के पूजन के साथ हनुमान जी का भी पूजन करना चाहिए. हनुमान जी रुद्र के अवतार हैं और शक्ति के सहायक भी रहे हैं. इस दिन हनुमान जी की पूजा लाल फूल, ईत्र और अभ्रक को तुलसी से करने से मांगलिक दोष दूर होंगे. ओम हं हनुमंते नम: का जाप रूद्राक्ष की माला से करने से लाभ मिलेगा. मध्य रात में यमदीप जलाया जाएगा. हनुमान जी की पूजा पीले सिंदूर, इत्र और चमेली के तेल से करने से विद्यार्थियों को लाभ मिलेगा. वहीं इससे व्यापारियों को विशेष धन की प्राप्ति होगी.

Input:- Zee News