बिहार में सत्ता गंवाने व सभी सात मोर्चा के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की रिपोर्ट के बाद भाजपा को होश आने लगा है। संगठन की लचर स्थिति को लेकर पार्टी बेहद सतर्क हो गई है। शीर्ष नेतृत्व ने बिहार भाजपा के कोर ग्रुप के सदस्यों को कार्यालय छोड़कर जिलों में कूच करने का सख्त निर्देश दिया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य है। इस मिशन-35 को सफल बनाने के लिए पार्टी नेताओं को जिले आवंटित कर दिए गए हैं।

प्रदेश में भाजपा के 45 संगठनात्मक जिले हैं। तीन केंद्रीय मंत्रियों के अलावा प्रदेश इकाई के 13 दिग्गजों को जीत के उद्देश्य से इन जिलों में जमीनी स्तर पर सक्रियता बढ़ानी है। 24 अगस्त के बाद ये नेता आवंटित जिलों में दो दिन का दौरा करेंगे। इन्हें अनिवार्य रूप से एक रात संबंधित जिले में गुजारनी है। इनमें से प्रत्येक को प्रतिदिन छह बैठक करनी है। इस दौरान विशुद्ध रूप से संगठनात्मक गतिविधियों को लेकर जिला से लेकर मंडल स्तर तक के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से संवाद सुनिश्चित करना है। इस पूरे कार्यक्रम के संयोजन और मानीटरिंग की जिम्मेदारी प्रदेश उपाध्यक्ष डा. राजेंद्र गुप्ता को दी गई है।

विपक्ष की भूमिका में आने के बाद यह पहला प्रयास

विपक्ष की भूमिका में आने के बाद भाजपा की यह पहली जिलेवार बैठक होगी। इसमें मुख्य रूप से जिला के कार्यसमिति सदस्य, पार्टी पदाधिकारी, विधानसभा क्षेत्र के सभी मंडलों के मोर्चा पदाधिकारी सम्मिलित होंगे। केंद्र प्रायोजित योजनाओं के लाभार्थियों, त्रिस्तरीय पंचायतों और नगर निकायों के जन-प्रतिनिधियों के साथ भी क्षेत्र भ्रमण करने वाले नेता को बैठक करनी है। सामाजिक संवाद और प्रभावी मतदाताओं के साथ बैठक करनी है। बैठक में पूर्व जिलाध्यक्ष के अलावा सभी वरिष्ठ नेताओं को बुलाने का सख्त निर्देश दिया गया है। पूर्व विधायक, पूर्व विधान पार्षद, पूर्व प्रत्याशी, संघ परिवार से जुड़े लोगों से भी संपर्क करना है। इसके अलावा पार्टी के फ्रंटल संगठनों के साथ बैठक करनी है।

Input: dainik jagran