सीतामढ़ी के किसानों को प्रत्येक वर्ष मौसम की मार झेलनी पड़ती है। जिससे • किसानों की लहलहाती फसल बर्बाद होने से लाखों रुपये का नुकसान पहुंचता है। इसके बाद किसान फसल क्षति की राशि के लिए महीनों इंतजार करते रहते है।

बीते सप्ताह आंधी-तूफान के साथ हुई बारिश से जिले में मसूर, मटर, सरसो सहित गेहूं की फसल को नुकसान पहुंचा है। जिससे किसानों की खेती में लगायी गई पूंज भी डूब गई हैं। “रून्नीसैदपुर के मानिकचौक निवासी पूनम देवी ने बताया कि बारिश का • पानी खेत में लगने से लगभग एक एकड़ “मसूर व सरसो की फ़सल गलकर बर्बाद हो गई है। निचला इलाका होने के कारण धान की फसल बाढ़ के दौरान बर्बाद हो गई थी। इसके बाद गेहूं व रबी की फसल लगाए थे। लेकिन मौसम की मार से वह भी बर्बाद हो गई है। वहीं खोपी गांव के किशोरी सिंह ने बताया कि लगभग 12 कट्ठा में लगी रबी फसल को नुकसान पहुंचा है। साग सब्जी की फसल भी सरेह में सूखने लगी हैं। सुरसंड के किसान लक्ष्मेश्वर

चौधरी ने बताया कि गेहूं के मसूर, खेसारी, आलू, सरसो फसल को काफी पहुंचा है। खेती में लगी पूंजी भी डूब गई है। फसल क्षति का मुआवजा मिलेगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं हैं। गेहूं में पिलीया रोग लग गया है।

इसी प्रकार के सुप्पी प्रखंड के घरवारा के किसान राजेश कुमार सिंह, अम्बा खुर्द के बिरेन्द्र महतो, मोहनी मंडल के अरुण कुमार साह ने बताय कि रबी व सब्जी की फसल को बारिश से नुकसान पहुंचा है।

लेकिन कृषि विभाग द्वारा केवल मसूर की फसल को ही क्षति बताया गया है। जबकि मसूर, सरेसा, मटर, आलू व गेहूं की फसल को भी नुकसान पहुंचा हैं। किसानों ने बताया कि पिछले वर्ष आंधी-पानी के दौरान फसल क्षति की राशि अबतक नहीं मिली है।

जिले में आंधी-पानी के दलहन दौरान बर्बाद हुए फसल का आकलन किया गया है। मुख्य रूप से मसूर की फसल को नुकसान पहुंचा है। प्रखंडों में लगभग 25 सौ हेक्टेर रबी फसल – बर्बाद होने की रिपोर्ट विभाग को भेजी गई है। कृषि विभाग के दिशा-निर्देश मिलने के बाद ऑलाइन आवेदन किसानों से लिया जाएगा।