भारत के चंद्रयान-3 मिशन पर पूरी दुनिया की नजर है। 14 जुलाई को चंद्रयान-3 को लॉन्च होने के बाद से इसकी हर गतिविधि पर पैनी नजर रखी जा रही है। इसी बीच रुस ने भी अपना पहला चंद्र मिशन लूना 25 लॉन्च किया है।

सुदूर पूर्व में रूस के वोस्तोचन अंतरिक्षयान से चंद्रमा के लिए ‘लूना-25′ यान का प्रक्षेपण 1976 के बाद रूस का पहला प्रक्षेपण है। तब यह सोवियत संघ का हिस्सा था। रूसी चंद्र लैंडर के 23 अगस्त को चंद्रमा पर पहुंचने की उम्मीद है और उसी दिन भारतीय यान के भी चंद्रमा पर पहुंचने की उम्मीद है।

ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि लगभग एक महीने पहले लॉन्च हुए चंद्रयान-3 से पहले लूना-25 चांद की सतह छूने में कैसे कामयाब होगा? रूसी अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के आसपास की यात्रा करने में लगभग 5.5 दिन लगेंगे। फिर तीन से सात दिन यह सतह पर जाने से पहले लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमा करेगा।

चंद्रयान-3 मिशन रूसी लूना-25 मिशन से बाद में चांद की सतह पर पहुंचने की वजह है लंबा रास्ता। भारत का चंद्रयान-3 लूना-25 मिशन की तुलना में लंबा सफर तय कर रहा है दरअसल, चंद्रयान-3 अपने सफर के ज़रिए पृथ्वी और चंद्रमा के गुरुत्वाकर्षण का लाभ लेना चाहता है। उससे यह काफी कम ईंधन पर सफर करेगा।

लूना-25 के जल्दी चांद पर पहुंचने से जुड़े सवालों पर एक्सपर्ट ने हमें बताया कि,’रुसी रॉकेट ज्यादा बड़ा है और हमारा रॉकेट छोटा है। लिहाजा हमारा रॉकेट चंद्रयान-3 को इतना वेग (वेलोसिटी) नहीं दे सकता है कि ये ज्यादा रफ्तार से चांद की ओर जा सके।’

उन्होंने कहा, ‘क्योंकि ताकतवर और बड़ा रॉकेट ज्यादा खर्चीला होता है इसलिए भारत ने छोटे रॉकेट के जरिए अपना मकसद साधने का प्लान बनाया। बड़ी बात ये है कि भारत ने मौका नहीं गंवाया। सीमित संसाधनों के बावजूद अपने मिशन को लॉन्च करके दिखाया है।

ये भारतीय वैज्ञानिकों की उपलब्धि है जबकि रुस की तुलना में ये अंतरिक्ष मिशन के मामले में छोटा खिलाड़ी है। ‘इसरो ने शुक्रवार को रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ‘रोस्कोस्मोस’ को उसके चंद्र अभियान ‘लूना-25′ के सफल प्रक्षेपण के लिए बधाई दी, जो 47 वर्षों में देश का पहला चंद्र अभियान है।

इसरो ने सोशल नेटवर्किंग साइट ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर एक संदेश में कहा, ‘‘लूना-25 के सफल प्रक्षेपण पर रोस्कोस्मोस को बधाई। हमारी अंतरिक्ष यात्राओं में एक और मिलन बिंदु होना अद्भुत है। (भारत के) चंद्रयान-3 और (रूस के) लूना-25 अभियानों को उनके लक्ष्य हासिल करने के लिए शुभकामनाएं।”

शुक्रवार सुबह (भारतीय समयानुसार) प्रक्षेपित किए गए रूसी अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के आसपास की यात्रा करने में लगभग 5.5 दिन लगेंगे। लूना-25 के चंद्र कक्षा में स्थानांतरित होने और अंत में चंद्रमा की सतह पर उतरने से पहले पृथ्वी के चारों ओर एक कक्षा में प्रवेश करने की उम्मीद है। केवल तीन देश चंद्रमा पर सफलतापूर्व उतरने में सफल रहे हैं: पूर्व सोवियत संघ, अमेरिका और चीन।

INPUT : PANJAB KESARI