बिहार में शिक्षक नियुक्ति की नई नियमावली आने के बाद से राज्य के शिक्षक संघ अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं. इधर शिक्षा विभाग में चल रही खींचतान भी जारी है. इसी बीच अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शिक्षक संघ से वार्तालाप के लिए राजी हो गए हैं.

इस के लिए तारीख भी तय कर दी गई है. यह बैठक सीएम आवास पर 5 अगस्त को शाम 4 बजे से होगी. इस बैठक में सीएम नीतीश कुमार के साथ राज्य के विभिन्न शिक्षक संघ एवं महागठबंध के तमाम नेता मौजूद रहेंगे. शिक्षक संघ इस बैठक में अपनी बातें सरकार के सामने रखेंगे.

जानकारी के अनुसार सीएम आवास पर होने वाली इस बैठक में सीएम नीतीश कुमार और शिक्षक संघ के अलावा सीपीआई, सीपीआई (एम), वित्त मंत्री विजय चौधरी समेत अन्य नेता भी मौजूद रहेंगे. वहीं इस बैठक में शिक्षक संघों की विभिन्न मांगों पर सीएम नीतीश कुमार उनसे चर्चा करेंगे और उनकी समस्याओं के समाधान तलाशने की कोशिश भी जाएगी. वहीं इससे पहले शिक्षकों ने अपने मांगों को लेकर पटना में प्रदर्शन किया था. इसके साथ ही शिक्षक संघ द्वारा घेरा डालो-डेरा डालो कार्यक्रम भी चलाया गया.

राज्य के शिक्षक संघों ने पहले से कह रखा है कि सरकार जब तक पूर्व से सेवारत शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा नहीं देती, तब तक संघर्ष जारी रहेगा. वहीं सरकार से बातचीत के लिए शिक्षक संघ ने पत्र लिख कर इसे जल्द करने की अपील की थी. साथ ही मुद्दे पर राजद सुप्रीमो लालू यादव से भी शिक्षक संघों ने मुलाकात की थी.

शिक्षक संघों की क्या है मांग?

सरकार पुरानी पेंशन योजना लागू करे

नियोजित शिक्षकों को बिना शर्त मिले राज्यकर्मी का दर्जा

बिहार में पुरानी डोमिसाइल नीति लागू हो

शिक्षकों को सामान काम का सामान वेतन मिले

दरअसल, बिहार में 1 लाख 70 हजार शिक्षकों की बहाली के लिए नियोजित शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा पाने के लिए बीपीएससी द्वारा अगस्त में आयोजित की जाने वाली परीक्षा देनी है. इसके साथ ही शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल नीति भी लागू की गई जिसके तहत राज्य के बाहर के लोग भी इन पदों के लिए आवेदन कर सकते हैं.

राज्य के मौजूदा शिक्षक इसी नई नियमावली का विरोध कर रहे हैं. इसको लेकर कई बार विरोध किया गया है.इधर, बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ ने सरकार से शिक्षकों को किसी भी तरह के गैर शैक्षणिक कार्य में न लगाये जाने की मांग की है. संघ ने कहा कि इससे बिहार में शिक्षा का माहौल खराब हो जाता है.

एक तरफ विभाग और सरकार बिहार में शिक्षा का माहौल बनाने का कार्य करने का दावा कर रही है तो, दूसरी तरफ बने-बनाये माहौल को खराब करने के लिए बड़े पैमाने पर शिक्षकों को जाति आधारित गणना जैसे गैर शैक्षणिक कार्य में प्रतिनियुक्त कर रही है जो बिल्कुल ही शिक्षा हित में नहीं है.

बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ का मानना है शिक्षकों को किसी भी तरह के गैर शैक्षणिक कार्य में न लगाया जाये. अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने पत्र जारी कर स्कूल को संचालित करने लायक संख्या में शिक्षकों को छोड़ कर शेष को प्रतिनियुक्त करने को कहा है.

शिक्षक नेताओं ने मांग की है कि बिहार के सभी शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य यथा जाति आधारित जनगणना कार्यालयों में प्रतिनियुक्ति बीएलओ जैसे कार्य से बिल्कुल अलग किया जाये ताकि बिहार में पठन-पाठन का माहौल बना रहे. वहीं, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने कहा कि शिक्षकों से जाति गणना करवाना गलत है.

शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कामों से अलग रखने का अपर मुख्य शिक्षा सचिव केके पाठक का दावा जाति गणना के मुद्दे पर टूटकर बिखर गया है. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह और महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा है कि जाति गणना संबंधी कार्य प्रारंभ होने के साथ ही अपर मुख्य शिक्षा सचिव ने राज्य के सभी डीएम को गैर शैक्षणिक कार्यों से अलग रखने का आदेश दिया था, लेकिन उसकी स्याही अभी सूखी भी नहीं थी कि फिर तुरंत उक्त आदेश को पलट दिया गया और पुनः विद्यालय में पढ़ाई-लिखाई के बन रहे माहौल को प्रभावित कर दिया गया. इसे शिक्षकों ने शिक्षा विरोधी आदेश करार दिया है.

INPUT : PRABHAT KHABAR