विश्व स्तर पर सामने आ रहे कोरोना और ओमिक्रॉन के मामलों के बीच राहत भरी खबर है. चीनी वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने एक शक्तिशाली नए सिंथेटिक एंटीबॉडी की खोज की है, जो कोविड-19 का कारण बनने वाले वायरस सार्स-कोव-2 का मुकाबला कर सकता है.

अन्य बीमारी के जांच के दौरान हुई खोज

हमारी सहयोगी वेबसाइट वियोन की खबर के अनुसार, शंघाई में फुडन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं को लगता है कि उन्होंने जो सिंथेटिक एंटीबॉडी की खोज की है, वह कोरोना के वेरिएंट ओमिक्रॉन को हराने में भी मददगार साबित हो सकता है. शोधकर्ताओं ने एक अन्य बीमारी की जांच के दौरान इस एंटीबॉडी की खोज की. फुडन यूनिवर्सिटी के प्रमुख वैज्ञानिक प्रोफेसर हुआंग जिंगे के अनुसार, इस खोज ने मनुष्यों को महामारी के खिलाफ दौड़ में एक कदम आगे रख दिया है.

वायरस की सुरक्षा को तोड़ने में है सक्षम

एंटीबॉडी की खोज को लेकर एक लेख बायोरेक्सिव प्रीप्रिंट वेबसाइट पर प्रकाशित हो चुका है. हालांकि, खोज के रिपोर्ट की समीक्षा की जानी बाकी है. साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के साथ एक साक्षात्कार में प्रोफेसर हुआंग जिंगे ने कहा कि उन्होंने गलती से सार्स-कोव-2 का सामना करने के लिए मानव प्रतिरक्षा कोशिकाओं द्वारा उत्पादित दो अलग-अलग प्राकृतिक एंटीबॉडी से इस एंटीबॉडी की खोज की. दोनों प्राकृतिक एंटीबॉडी में ओमिक्रॉन को रोकने की बहुत कम क्षमता थी, लेकिन नए रूप में मानव निर्मित यह एंटीबॉडी वायरस की सुरक्षा को तोड़ने में सक्षम था.

भगवान की कृपा से हुई खोज

जिंगे ने कहा कि ओमिक्रॉन को केवल पृथ्वी पर मुट्ठी भर एंटीबॉडी द्वारा ही बेअसर किया जा सकता है. उन्हें ऐसा लगता है कि उन्हें भगवान की कृपा मिली है. शोधकर्ता ने इस खोज को “भगवान का वरदान” कहा और बताया कि यह मनुष्यों को अल्ट्रा-ट्रांसमिसिबल वायरस के खिलाफ दौड़ में “एक कदम आगे” रखेगा. हुआंग ने समझाया कि वह एंटी-ओमिक्रॉन एंटीबॉडी विकसित करने की कोशिश नहीं कर रहे थे, लेकिन एक अन्य संक्रामक बीमारी पर शोध कर रहे थे. इस दौरान एंटीबॉडी के प्रभाव का पता चलने पर ओमिक्रॉन पर भी इसका परीक्षण करने का फैसला किया. रिपोर्ट के अनुसार, उनका एंटीबॉडी सार्स-कोव-2 के अन्य संस्करणों के साथ  सार्स-कोव-1 के खिलाफ भी प्रभावी है. आशा है कि यह भविष्य में अन्य नए वेरिएंट के खिलाफ भी काम करेगा.