बिहार के सरकारी स्कूलों के हेडमास्टरों को नया टास्क मिला है. 20 रूपये प्रति बोरा के हिसाब से बोरा बेचने का. बोरा न सिर्फ बेचना है बल्कि उस पैसे को बड़े जतन को सरकारी खाते में जमा कराना भी है. हेडमास्टर पैसे को जिला में भेजेंगे और फिर जिला स्तर पर सारे पैसे को सरकारी खजाने में जमा कराया जायेगा.

राज्य सरकार के शिक्षा विभाग ने ये फरमान जारी किया है. हेडमास्टर बोरा बेच रहे हैं या नहीं इसकी निगरानी भी की जायेगी. वैसे शिक्षा विभाग ने पहले हेडमास्टर को बोरा बेचने का काम दिया था. दरअसल राज्य के हर स्कूल में मिड डे मिल के लिए अनाज जाता है.

अनाज जिस बोरे में रख कर भेजा जाता है उसे हेडमास्टर को बेचने का टास्क दिया गया है. राज्य सरकार ने पहले कहा था कि मिड डे मिल के खाली बोरे को 10 रूपये के हिसाब से बेचना है. लेकिन अब सरकार को लग रहा है कि बोरे की कीमत बढ़ गयी है. लिहाजा हेडमास्टर को 20 रूपये में एक बोरा बेचने का निर्देश दिया गया है.

इस संबंध में शिक्षा विभाग के निदेशक मिथिलेश मिश्रा ने सभी जिलों को पत्र लिखा है. पत्र में कहा गया है कि पहले निदेश दिया गया था कि मध्याहन भोजन योजना अन्तर्गत आपूर्ति किये गये खाद्यान्न के खाली गनी बैग(बोरा) को 10 रूपये की दर से बिक्री किया जाये.

लेकिन बोरा का ये रेट 2016 में निर्धारित किया गया था. तब से अबतक गनी बैग (बोरा) की दर में वृद्धि हुई है. अतः उक्त के आलोक में सम्यक विचारोपरान्त निर्णय लिया गया है कि उपयोग किये गये प्रति गनी बैग (बोरा) को न्यूनतम 20 रूपये की दर से बिक्री किया जाय.

राज्य सरकार के पत्र में कहा गया है कि प्रधानाध्यापक के द्वारा गनी बैग (बोरा) बिक्री के उपरान्त प्राप्त राशि को जिलों में संचालित राज्य योजना मद के तहत खोले गये बैंक खाते में जमा करेंगे. गनी बैग से प्राप्त विद्यालयवार राशि को जिला कार्यालय के द्वारा एकत्रित कर समेकित रूप से चेक के माध्यम से सम्पूर्ण राशि को कोषागार द्वारा चालान पारित कराकर जमा किया जायेगा. सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को कहा गया है कि वे अभी से ही खाली गनी बैग (बोरा) को बिक्री कराने के लिए अपने स्तर से सभी संबंधित को निदेश देना सुनिश्चित करें.

INPUT : FIRST BIHAR