जितिया पर्व को सनातन धर्म में बहुत ही कठिन पर्व कहा जाता है, क्योंकि इसमें जल ग्रहण तक नहीं करती है. इस पर्व को करने वाली महिलाएं और महिलाएं अपने पुत्र की दीर्घायु होने की कामना से व्रत को करती है. आमतौर पर यह व्रत 24 से 36 घंटे का होता है.

लेकिन इस बार एक विशेष संयोग के कारण एक दिन का ही यह पर्व बन रहा है. जानें इसके पीछे की और रोचक कहानियां कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के विभाग अध्यक्ष डॉक्टर कुणाल कुमार झा ने बताया.

डॉक्टर कुणाल कुमार झा ने बताया कि जितिया करने के लिए माछ और अरुआ का भक्षण किया जाता है. व्रत से एक दिन पूर्व यह करके रात में मतलब रात के अंतिम भाग में अर्थात सप्तमी में उठगन किया जाता है, जो इस वर्ष 5 अक्टूबर गुरुवार को होगा. जितिया व्रत जो होता है वह पूरा अष्टमी का मान होता है. उसके हिसाब से यह वर्त निर्धारित किया गया है.

7 अक्टूबर को जितिया व्रत का पारण
इसे महालक्ष्मी व्रत भी कहा जाता है. पूरे अष्टमी का मान इस बार शुक्रवार को 9:35 बजे के बाद शुरू होगा. यानी अष्टमी का आगमन होगा और अष्टमी शनि अर्थात 10:32 बजे शनिवार तक अष्टमी का मान रहेगा. इसलिए 6 अक्टूबर को जितिया व्रत प्रारंभ किया जाएगा और 7 अक्टूबर को पारण किया जाएगा.

खीर और अंकुरी से करें पारण
डॉक्टर कुणाल कुमार झा ने बताया किपारण खीर और अंकुरी से करना परस्त माना गया है. यह व्रत स्त्री अपने संतान की आयु वृद्धि के लिए कामना से करती है. इस वर्त में मरुआ की रोटी मारा माछ और नोनी के साग का विशेष महत्व माना गया है.

INPUT : NEWS 18