नेपाल की सीमा से सटे बिहार के सात जिले डायरिया के रेड जोन में हैं। यूनिसेफ की सर्वे रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट बताती है कि इन जिलों में 15 प्रतिशत से अधिक मरीज डायरिया के हैं।

इन जिलों में सीतामढ़ी, मधुबनी, पश्चिम चंपारण, अररिया, सुपौल, सीवान और सारण शामिल हैं। यूनिसेफ के नक्शे में ये जिले लाल घेरे में हैं। मुजफ्फरपुर ऑरेंज जोन में है। जिले में 14.6 प्रतिशत मरीज डायरिया के हैं।

यूनिसेफ की टीम इन सीमावर्ती जिलों में डायरिया पर काम कर रही है। पहली नजर में इन जिलों में बाढ़ को डायरिया का कारण माना जा रहा है। इस साल अब तक जिन जिलों में 15 प्रतिशत से अधिक मरीज मिले हैं, उन्हें यूनिसेफ ने रेड जोन में रखा है।

कैमूर, भभुआ और रोहतास में डायरिया का प्रकोप कम है। यहां पांच प्रतिशत से कम डायरिया मरीज मिले हैं। इसलिए इन्हें ग्रीन जोन में रखा गया है।

लगातार बाढ़ आने से खराब हो रहा पीने का पानी : यूनिसेफ के अधिकारी डॉ. नलिनी त्रिपाठी ने बताया कि नेपाल के सटे जिलों में हर साल बाढ़ आती है। इससे इन जिलों में पीने का पानी भी दूषित हो रहा है।

इस कारण लोगों को डायरिया का प्रकोप झेलना पड़ रहा है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों में सफाई के प्रति जागरूकता नहीं रहने से बीमारी फैलती है। उन्होंने बताया कि यूनिसेफ इन जिलों में शुद्ध पेयजल के लिए योजना तैयार करेगी। सरकार को भी इसकी रिपोर्ट दी जाएगी।

यूनिसेफ के अनुसार, सूबे में हर महीने एक हजार मौतें डायरिया से होती है। प्रतिदिन का आंकड़ा 33 का है। पूरे देश का आंकड़ा 8,720 है। देश में रोज 283 मौतें डायरिया की वजह से होती है। डायरिया होने पर समय से अस्पताल नहीं पहुंचने पर मरीज की स्थिति खराब हो जाती है और जान चली जाती है।

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