आजादी के समय बिहार देश के सबसे समृद्ध राज्यों में से एक था. बिहार की सीमा पर भले ही समंदर नहीं था, लेकिन उसकी धरती से निकलने वाले खनिजों की वजह से उसकी अर्थव्यवस्था बाकी राज्यों से बेहतर थी.फिर आया बिहार में राजनीतिक अस्थिरता का लंबा दौर.

गैंगस्टर्स, माफिया, नक्सल गतिविधियां, जातीय टकराव जैसी चीजें जैसे-जैसे बढ़ती गईं, वैसे-वैसे बिहार बदतर हालत की ओर बढ़ता गया. रही सही कसर उसके बंटवारे ने पूरा कर दिया. क्योंकि बिहार में बची खुची इंडस्ट्री माइनिंग उसके हाथ से निकल गई झारखंड नाम से अलग राज्य के हिस्से में चली गई. लेकिन अब बिहार में फिर से बदलाव की आहत सुनाई देने वाली है.

बिहार में शुरुआती खनन के दौरान कई

महत्वपूर्ण खनिजों का पता चला है. पता तो समय समय पर पहले भी चलता रहा है, लेकिन सरकारों की मजबूत इच्छाशक्ति आडे़ आते गई. लेकिन अब बिहार सरकार पर उत्पादन बढ़ाने से लेकर रोजगार के सृजन तक का भारी दबाव है. ऐसे में अब बिहार सरकार ने फैसला किया है कि भले ही इन खनिजों से बहुत ज्यादा कमाई न हो, लेकिन उनके उत्खनन से राज्य में तमाम गतिविधियां तो शुरू हो ही जाएंगी.

ऐसे में रोजगार के असवर भी बढ़ेंगे. राज्य में खनन के नाम पर ही सही, निवेश आएगा, तो एक अच्छी आबादी उससे जुड़कर अपनी रोजी-रोटी का इंतजाम भी कर लेगी. बिहार सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव सह खनिज आयुक्त हरजीत कौर बुमराह की मानें तो हाल ही में गया जिले में सोने की खनन की कोशिशें हुई.

शुरुआती तौर पर ऐसी तीन जगहों का पता चला है, जहां खनन का काम आगे बढ़ाया जा सकता है. उन्होंने बताया कि गया के अजयगर में सोने के लिए तीन अलग-अलग क्षेत्र चिन्हित किये जा चुके हैं. तो जमुई जिले के परमानिया-तेतरिया इलाके के आसपास ‘लिथियम’ इससे जुड़े स्ट्रैटेजिक खनिजों की संभावना है.

इन जगहों के सैंपल जांच के लिए भेजे जा चुके हैं. वहीं, बिहार में कोयला भी प्रचुर मात्रा में मिला है, तो अब सरकार इस क्षेत्र में आगे बड़ रही है. केंद्र सरकार ने 7 खानों की जिम्मेदारी भी बिहार सरकार को सौंप दी है. ऐसे में माना जा सकता है कि बिहार के अच्छे दिनों के आने की शुरुआती जल्द हो सकती है.

INPUT : NEWS NATION TV