आमचुनाव की तारीखों का एलान हो चुका है। ऐसे में पक्ष-विपक्ष और आक्रामकता के साथ अपना प्रचार अभियान चलाएंगे। एक तरफ भाजपा जहां अमृतकाल में सुशासन, तेजी से विकास और विकसित भारत के दृष्टिकोण के साथ चुनावी समर में जा रही है.

तो विपक्ष खासकर कांग्रेस मोदी सरकार के दो कार्यकालों को बेरोजगारी, महंगाई, संवैधानिक संस्थाओं पर कब्जे वाला बता रहा है और इसे अन्याय काल बता रहा है। आइए डालते हैं उन मुद्दों पर नजर जिन्हें विभिन्न राजनीतिक दलों की ओर से जोरशोर से उठाने के आसार हैं।

मोटी की गारंटी बनाम कांग्रेस की न्याय गारंटी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आश्वस्त हैं कि उन्हें लगातार तीसरा कार्यकाल मिलेगा। उन्होंने ‘मोदी की गारंटी’ को अपने अभियान का मुख्य विषय बनाया है। इसमें युवाओं के विकास, महिलाओं के सशक्तीकरण, किसानों के कल्याण और हाशिये पर पड़े कमजोर लोगों के लिए एक गारंटी है जिन्हें दशकों से नजरअंदाज किया गया है। यह सभी कल्याणकारी योजनाओं की संतृप्ति सुनिश्चित करने के सरकार के लक्ष्य के बारे में भी है।

उधर देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना में लोगों को गारंटी दी। इसके तहत कई वादे किए। इसका उसे इन राज्यों में फायदा भी हुआ और सत्ता में आई। लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी ने अपनी पांच न्याय गारंटी सामने रखी हैं जिनका उद्देश्य युवाओं, किसानों, महिलाओं, मजदूरों और आदिवासियों के लिए न्याय सुनिश्चित करना है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान भी पार्टी ने न्याय की गारंटी का हवाला दिया है। पार्टी इसे मुख्य मुद्दा बनाएगी।

बेरोजगारी और महंगाई
विपक्षी गठबंधन आइएनडीआइए खासकर कांग्रेस बेरोजगारी और आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों का मुद्दा उठाती रही है। वह इसके साथ-साथ बेरोजगारी पर भी सरकार को घेरने की कोशिश में है। उधर भाजपा तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का हवाला दे रही है और कह रही है कि हमने देश को विश्व की टाप-5 अर्थवस्थाओं में शामिल किया।

अनुच्छेद 370 निरस्त करना, सीएए और समान नागरिक संहिता
ये तीनों भाजपा के लंबे समय से किए गए वादों का हिस्सा रहे हैं। भाजपा इन्हें अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश करेगी। दिखाएगी कि वह जो कहती है, करके भी दिखाती। उधर विपक्ष इन कदमों को देश को बांटने वाला और और एकरूपता थोपने का प्रयास बता रहा है।

INPUT : JAGRAN