रामायण का श्रीलंका से गहरा संबंध है और भगवान राम ने यहीं राक्षसों के राजा रावण का वध किया था. साथ ही यहीं वह अशोक वाटिका भी मौजूद है जहां माता सीता को रावण ने कैद कर के रखा था. ज़ी न्यूज संवाददाता विशाल पाण्डेय जब श्रीलंका संकट को कवर करने गए तब उन्होंने रामायण काल के अशोक वाटिका की भी यात्रा की. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज भी अशोक वाटिका में रामायण काल यानी त्रेता युग के प्रमाण मौजूद हैं.

श्रीलंका में है अशोक वाटिका
अशोक वाटिका की पहाड़ी पर हनुमान का स्वरूप दिखता है और यहीं पहली बार हनुमान, माता सीता से मिले थे. इसी अशोक वाटिका में आज भी वीर हनुमान के पैरों के निशान मौजूद हैं. ज़ी न्यूज श्रीलंका पहुंचा है जो कि दिल्ली से करीब 3.5 हजार किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. कोलंबो से 170 किलोमीटर दूर सीता एलिया स्थित है जिसे अशोक वाटिका के नाम से भी जाना जाता है.

इस जगह पर आज भी ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं जिससे रामायण काल की घटनाओं के बारे में पता चलता है. इस इलाके में मां सीता का भव्य मंदिर बना हुआ है. सीता एलिया में बने पहाड़ यहां आने वाले लोगों का ध्यान खींचते हैं क्योंकि यहीं पर सबसे पहले सीता माता की खोज में निकले हनुमान जी आए थे.

हनुमान जी ने यहीं रखे थे चरण
मंदिर के प्रबंधक जीव राजा ने बताया कि हनुमान जी लंका में सबसे पहले इसी पहाड़ पर उतरे थे और इस पूरे इलाके को सीता एलिया के नाम से जाना जाता है. पूरे गांव का नाम सीता माता के तेज के वजह से सीता एलिया रखा गया है क्योंकि यहां के कण-कण में आज भी उनकी मौजूदगी है.

इस इलाके में करीब 5.5 हजार साल पुराने पदचिन्ह भी मौजूद हैं जिन्हें हनुमान जी का बताया जाता है. इसके भीतर बजरंगबली की एक मूर्ति भी स्थापित की गई है और पूरे इलाके को काफी पवित्र माना जाता है. दुनियाभर से आने वाले लोग इन चरणों की पूजा करते हैं. इसी जगह पर हनुमान जी ने माता सीता को भगवान राम की ओर से भेजी गई अंगूठी दी थी ताकि उन्हें यह विश्वास हो सके कि वह कोई राक्षस नहीं बल्कि राम के दूत हैं.

अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर के निर्माण कार्य के लिए अशोक वाटिका से भी एक खास काला पत्थर भेजा गया था ताकि उस मंदिर में भी अशोक वाटिका की मौजूदगी रह सके. यह पूरा इलाका ही माता सीता के पतिव्रत धर्म और हनुमान जी के सेवा भाव का प्रतीक है जो कि पुरी दुनिया के राम भक्तों की आस्था का केंद्र है.

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